Failure is not end of life

अपने सीने के घावो को , किसके पास दिखाऊ मैं

अंतर्मन की सिसकियो को, किसके पास सुनाऊ मैं

क्या बीती है मेरे ऊपर किसको जाकर मैं बताऊ

क्या घटा है अंदर मेरे, किसको ?, क्या जाकर समझाऊँ

भाग दौड़ की जिंदगी में, निराशा कैसे व्यक्त करू

हंसी ख़ुशी के माहौल में, दुःख कैसे मैं प्रकट करूँ

माना यह केवल ठोकर है, फिर से आगे बढ़ना है

मंजिल को पाना है तो फिसल फिसल कर जाना है

लेकिन मेरी इस अभिव्यक्ति को, कौन भला समझेगा

इस विपरीत परिस्थिति में, मुझे कौन प्यार से देखेगा

मुझे तो दूर था जाना, मैं यंहा कैसे रुक गया

जो प्रण लेकर निकला था, वो कैसे यंहा पर छूट गया

अंको के जाल में फँसकर, मैं खुद से कहता हूँ
आशीष, तुझे क्या क्या करना था, तू यंहा आकर हार गया।

माना यह अंत नही है, लेकिन किसको समझाऊँ मैं

अंतर्मन की सिसकियो को, किसके पास सुनाऊ मैं

क्या क्या सोचा था, क्या क्या अब सोचूंगा

क्या क्या पाया था मैंने क्या क्या अब खोदूंगा

हर्ष ,उमंग और ख़ुशी का, है मुझसे कोई काम नही

 जीतने वालो की सूची में , अब कही भी मेरा नाम नही

(I added more lines after few days)

लेकिन अंत नही है कुछ भी, कहता गीता का सार

कर्म करना कर्तव्य है तेरा, कल की मत रख तू आस

कदम कदम पर गिरना है, फिर भी आगे बढ़ना है

सौ बार फिसलेगा तू, फिर भी ऊपर चढ़ना है

मैं सफल हूँगा लेकिन ,चाहे मंज़िल न हो पास

हौसले बुलंद हैं, और है आत्मविश्वास

"बुझने लगी हो आँखे तेरी, चाहे थमती हो रफ़्तार

उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चीत्कार

दोष विधाता को न देना, मन में रखना तू ये आस

रणविजयी बनता वही, जिसके पास हो आत्मविश्वास 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

कांग्रेस की देन नहीं है स्वतंत्रता - सैनिकों की क्रांति से मिली आजादी

प्राचीन शहर रोम का इतिहास और उससे जुड़ी कहानियाँ

कुतुब मीनार नहीं विष्णु ध्वज है असली इतिहास - इतिहास से छेड़छाड़ का विस्तृत प्रमाण