Failure is not end of life
अपने सीने के घावो को , किसके पास दिखाऊ मैं अंतर्मन की सिसकियो को, किसके पास सुनाऊ मैं क्या बीती है मेरे ऊपर किसको जाकर मैं बताऊ क्या घटा है अंदर मेरे, किसको ?, क्या जाकर समझाऊँ भाग दौड़ की जिंदगी में, निराशा कैसे व्यक्त करू हंसी ख़ुशी के माहौल में, दुःख कैसे मैं प्रकट करूँ माना यह केवल ठोकर है, फिर से आगे बढ़ना है मंजिल को पाना है तो फिसल फिसल कर जाना है लेकिन मेरी इस अभिव्यक्ति को, कौन भला समझेगा इस विपरीत परिस्थिति में, मुझे कौन प्यार से देखेगा मुझे तो दूर था जाना, मैं यंहा कैसे रुक गया जो प्रण लेकर निकला था, वो कैसे यंहा पर छूट गया अंको के जाल में फँसकर, मैं खुद से कहता हूँ आशीष, तुझे क्या क्या करना था, तू यंहा आकर हार गया। माना यह अंत नही है, लेकिन किसको समझाऊँ मैं अंतर्मन की सिसकियो को, किसके पास सुनाऊ मैं क्या क्या सोचा था, क्या क्या अब सोचूंगा क्या क्या पाया था मैंने क्या क्या अब खोदूंगा हर्ष ,उमंग और ख़ुशी का, है मुझसे कोई काम नही जीतने वालो की सूची में , अब कही भी मेरा नाम नही (I added more lines after few days) लेकिन अंत नही है कुछ भी, ...